6th Day of Navratri : अर्थ, धर्म और मोक्ष चाहिए तो इस मंत्र से रिझा लो मां कात्यायनी को…

katyayani

मां दुर्गा के छठे स्वरूप का नाम कात्यायनी है, इस दिन साधक का मन ‘आज्ञा’ चक्र में स्थित होता है। योगसाधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है। नवरात्रि में छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। आईए जानते है मां कात्यायनी प्रिय रंग, भोग और कात्यायनी मंत्र के बारे में…

मां कात्यायनी प्रिय रंग –

नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी की विशेष आराधना का दिन होता है। ऋषि कात्यायन की पुत्री मां कात्यायनी को सफेद रंग अत्यंत प्रिय होता है, जो शांति का प्रतीक है। इस दिन विशेष रूप से सफेद रंग का प्रयोग शुभ रहेगा।

मां कात्यायनी प्रिय भोग –

मां कात्यायनी को जायफल प्रिय होता है, कहते है यदि साधक मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाता है, तो मां उस पर कृपा करती हैं।

मान्यता…

इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। उसके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं। कात्य गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन ने भगवती पराम्बा की उपासना की, कठिन तपस्या की।

उनकी इच्छा थी कि उन्हें पुत्री प्राप्त हो। मां भगवती ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया, इसलिए यह देवी कात्यायनी कहलाईं। इनकी कृपा से ही सारे कार्य पूरे जो जाते हैं। यह वैद्यनाथ नामक स्थान पर प्रकट होकर पूजी गईं।

माँ कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं। भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा की थी। यह पूजा कालिन्दी यमुना के तट पर की गई थी। इसलिए यह ब्रजमण्डल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं।

इनका स्वरूप अत्यन्त भव्य और दिव्य है। यह स्वर्ण के समान चमकीली हैं और भास्वर हैं। इनकी चार भुजाएँ हैं, दायीं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में। मां के बाँयी तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है व नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। इनका वाहन भी सिंह है।

इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। उसके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं, इसलिए कहा जाता है कि देवी की उपासना करने से परम पद की प्राप्ति होती है।
मंत्र-

चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानव-घातिनी॥

उपाय –

मां कात्यायनी की साधना का समय गोधूली काल है। इस समय में धूप, दीप, गुग्गल से मां की पूजा करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं। जो भक्त माता को 5 तरह की मिठाइयों का भोग लगाकर कुवांरी कन्याओं में प्रसाद बांटते हैं।

माता उनकी आय में आने वाली बाधा को दूर करती हैं और व्यक्ति अपनी मेहनत और योग्यता के अनुसार धन अर्जित करने में सफल होता है।