होलिका दहन के दिन और पूजा के समय भूलकर भी ना करें ये गलतियां, पड़ सकता है भारी…

holika dahan

फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन का त्योहार मनाया जाता है. होलिका दहन की पूजा शुभ मुहूर्त पर करना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. इस साल होलिका दहन 17 मार्च को होगा और उसके अगले दिन यानी 18 मार्च को रंगों वाली होली खेली जाएगी.

ऐसे में होलिका दहन के दौरान आपको कुछ गलतियां भूलकर भी नहीं करनी चाहिए. इन गलतियों को करने से व्यक्ति को जीवन में कई तरह ही मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.

होलिका दहन के दिन भूलकर भी ना करें ये गलतियां…

– होलिका दहन की अग्नि जलते हुए शरीर का प्रतीक होती है. ऐसे में नवविवाहित महिलाओं को इस अग्नि को जलते हुए नहीं देखना चाहिए. यह काफी अशुभ माना जाता है. इससे आगे चलकर जीवन में कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.

– होलिका दहन के दिन किसी व्यक्ति को भी उधार नहीं देना चाहिए. ऐसा करने से घर से बरकत चली जाती है और व्यक्ति को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में इस दिन किसी को भी उधार देने से बचें.

– अगर किसी माता-पिता की इकलौती संतान है तो उन्हें होलिका को अग्नि देने से बचना चाहिए. इसे शुभ नहीं माना जाता है अगर आपके दो बच्चे हैं तो आप होलिका की अग्नि को जला सकते हैं.

– होलिका दहन के दिन माता का आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए. इस दिन माता को कोई उपहार जरूर दें. इससे भगवान श्रीकृष्ण की आप पर कृपा बनी रहती है. इस दिन गलती से भी किसी महिला का अपमान नहीं करना चाहिए.

– होलिका दहन के लिए भूलकर भी आम, पीपल और बरगद की लकड़ी का इस्तेमाल ना करें. इन्हें जलाने से नकारात्मकता आती है. होलिका दहन के लिए गूलर और अरंडी की लकड़ी शुभ मानी जाती है.

होलिका दहन स्थल पर इन बातों का रखें ख्याल…

– होलिका दहन से पहले पूजा करें.

– पूजा में दीपक, धूप, एक माला, गन्ना, चावल, काले तिल, कच्चा सूत, पानी का लोटा, पापड़ चढ़ाएं.

– पूजा में हनुमान जी और शीतला माता को प्रणाम करें.

– होलिका दहन में चावल, आम और नीम की लकड़ी चने की झाड़, पापड़ और गेंहू की बालियां डालें और होलिका दहन की अगली सुबह यानी होली वाले दिन होलिका दहन के स्थान पर एक लोटा ठंडा पानी डालें.

होलिका दहन में इन बातों का ध्यान रखें…

– सही मुहूर्त पर होलिका दहन करें.

– होलिका दहन पूर्णिमा के अंतिम भाग में यानी भद्रा रहित काल में होगा.

– होलिका दहन स्थान को गंगाजल से शुद्ध करना ना भूलें.

– होलिका डंडा बीच में रखें. चारों तरफ सूखे उपले, सूखी लकड़ी, सूखी घास रखें. तब अग्नि जलाएं और होलिका दहन करें.

बात दें कि मान्यता है कि भगवान विष्णु के भक्त प्रहलाद को हिरण्यकश्यप ने होलिका की गोद में बैठाकर जिंदा जलाने की कोशिश की थी और इस दौरान होलिका खुद ही जल कर खत्म हो गई थी. तभी से होलिका दहन का त्योहार मनाया जाता है. होलिका दहन का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होता है.