हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने हिमाचल प्रदेश धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक 2022 को शनिवार को ध्वनि मत से पारित कर दिया, ताकि ‘सामूहिक धर्मांतरण’ के मामलों में सख्त सजा का प्रावधान हो सके। विधेयक में कारावास की सजा को सात साल से बढ़ाकर अधिकतम 10 साल तक करने का प्रावधान है।
इस कदम के साथ हिमाचल सरकार धार्मिक स्वतंत्रता कानून-2019 को सख्त करने जा रही है। संशोधित विधेयक के पारित होने पर हिमाचल में जबरन, कपटपूर्ण तरीके और विवाह के समय जाति छिपाने का खुलासा होने पर सजा का प्रावधान किया है।
हिमाचल प्रदेश 2006 में धर्मांतरण विरोधी कानून लागू करने वाले पहले राज्यों में से एक था। हालांकि, बाद में सरकार ने अधिनियम को निरस्त कर दिया और जबरन धर्मांतरण के मामलों में वृद्धि का हवाला देते हुए हिमाचल प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 2019 को अधिनियमित किया।
वहीं, इस पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि इससे पहले कानून को गलत बयानी, बल, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या किसी कपटपूर्ण तरीके या विवाह द्वारा धर्म परिवर्तन पर रोक लगाकर धर्म की स्वतंत्रता प्रदान करने की दृष्टि से अधिनियमित किया गया था। उन्होंने कहा, “अब, इसे सख्त बनाने के लिए कुछ संशोधन करने की आवश्यकता है।”