दिल्ली में अब प्राइवेट स्कूल पेरेंट्स को किसी खास दुकान से किताबें और यूनिफॉर्म खरीदने के लिए नहीं कर सकेंगे मजबूर, शिक्षा निदेशालय ने जारी किए ये आदेश…

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दिल्ली में अब प्राइवेट स्कूल पेरेंट्स को महंगी किताबें और स्कूल ड्रेस किसी खास दुकान से खरीदने के लिए मजबूर नहीं कर पाएंगे। साथ ही दिल्ली का कोई भी प्राइवेट स्कूल कम से कम 3 साल तक स्कूल ड्रेस के रंग, डिजाइन व अन्य स्पेसिफिकेशन को नहीं बदलेगा।

दिल्ली सरकार ने दिए ये आदेश

शिक्षा निदेशालय ने इसके मद्देनजर सभी स्कूलों को आदेश जारी किया है। वहीं, ऊंचे दामों पर जबरन यूनिफार्म और किताबें बेचने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस दिशा में शिक्षा निदेशालय ने गुरुवार को एक आदेश जारी करते हुए कहा कि कोई भी निजी स्कूल अब पेरेंट्स को खुद से या किसी विशिष्ट विक्रेता से किताबें, स्टडी मटेरियल और स्कूल ड्रेस खरीदने के लिए मजबूर नहीं करेगा और ऐसा करने पर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

किसी खास दुकान से किताबें-यूनिफॉर्म खरीदने को बाध्य नहीं कर सकेंगे दिल्ली  के प्राइवेट स्कूल, सिसोदिया का ऐलान

इससे अभिभावकों को होगा क्या फायदा

इस बाबत दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि सरकार के इस कदम से लाखों पेरेंट्स को फायदा होगा और उन्हें स्कूलों को बेमतलब पैसे नहीं देने होंगे। इस आदेश के तहत निजी स्कूल आने वाले सत्र में प्रयोग में आने वाली किताबों व अन्य स्टडी मटेरियल की कक्षावार सूची नियमानुसार स्कूल की वेबसाइट और विशिष्ट स्थानों पर पहले से ही प्रदर्शित करेंगे ताकि अभिभावकों को इसके बारे में जागरूक किया जा सके।

इसके अलावा स्कूल अपनी वेबसाइट पर स्कूल के नजदीक के कम से कम 5 दुकानों का पता और टेलीफोन नंबर भी प्रदर्शित करेगा, जहां से पेरेंट्स किताबें और स्कूल ड्रेस खरीद सकेंगे। साथ ही, स्कूल पेरेंट्स को किसी भी विशिष्ट विक्रेता से इन चीजों को खरीदने के लिए मजबूर नहीं करेगा। माता-पिता अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी दुकान से किताबें और यूनिफॉर्म खरीद पाएंगे।

वहीं, मनीष सिसोदिया ने कहा, “यह आदेश उन अभिभावकों के लिए राहत की सांस है जो निजी स्कूलों में किताबों और ड्रेस के लिए मोटी रकम चुकाने को मजबूर होते थे।”

उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण पिछले 2 सालों लोगों को आर्थिक रूप से काफी नुकसान हुआ। ऐसे में पेरेंट्स के लिए किसी विशिष्ट दुकान से या स्कूल से महंगी किताबों और स्कूल ड्रेस खरीदना मुश्किल है। ऐसे में सरकार का ये आदेश प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने वाले पेरेंट्स के लिए काफी मददगार साबित होगा और उन्हें ये स्वतंत्रता प्रदान करेगा कि वे अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी जगह से बच्चों के लिए किताबें व ड्रेस खरीद सकें।

डिप्टी सीएम ने आगे कहा कि पेरेंट्स को नए सेशन से पहले आने वाले सत्र के लिए किताबों व ड्रेस के बारें में उचित जानकारी प्राप्त करने का पूरा अधिकार है, ताकि वो अपने सुविधा के अनुसार इसकी व्यवस्था कर सके न कि स्कूल उन्हें ये चीजें खुद से या अपनी पसंदीदा दुकानों से खरीदने के लिए मजबूर करें। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य देश का भविष्य संवारना होना चाहिए, न कि पैसा कमाना।

पहले पेरेंट्स से मोटा पैसा लेकर लाभ कमाने का काम करते थे स्कूल

दरअसल, दिल्ली सरकार के मुताबिक प्राइवेट अनएडेड मान्यता प्राप्त स्कूल ट्रस्ट या सोसायटी द्वारा चलाए जाते हैं और उनके पास लाभ कमाने और व्यावसायीकरण की कोई गुंजाइश नहीं होती है। ऐसे में ये आदेश उन सभी निजी स्कूलों पर नकेल कसेगा जो किताबें व स्कूल ड्रेस के नाम पर पेरेंट्स से मोटा पैसा लेकर लाभ कमाने का काम करते थे।