मन की बात में पीएम मोदी ने किया आपातकाल का जिक्र, बोले- आने वाली पीढ़ियों को इसिहास की इस घटना को कभी भूलना नहीं चाहिए

modi-mann-ki-baat

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि आपातकाल में लोकतंत्र को कुचलने का जो काम हुआ और जनता के अधिकारों को जिस निर्ममता से मसला गया और लोगों ने तानाशाही के खिलाफ लोकतांत्रिक तरीके से लड़ते हुए जिस तरह से लोकतंत्र बहाल किया आने वाली पीढ़ियों को इसिहास की इस घटना को कभी भूलना नहीं चाहिए।

आकाशवाणी से प्रसारित अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 90वीं कड़ी में पीएम मोदी ने कहा कि जून महीने में ही 1975 में देश में आपातकाल लगाकर लोगों की अधिकारों को छीना गया था और लोकतंत्र के गले को घोटने का काम हुआ था। देश की आने वाली पीढियां कभी इसे भूला नहीं सकती हैं। आपातकाल के दौरान लोगों के अधिकारों को छीन लिया गया था और उन पर तरह-तरह के प्रतिबंध लगाए गए थे।

प्रधानमंत्री ने कहा,“उस समय भारत के लोकतंत्र को कुचल देने का प्रयास किया गया था। देश की अदालतें, हर संवैधानिक संस्था, प्रेस, सब पर नियंत्रण लगा दिया गया था। प्रतिबंधों की ये हालत थी कि बिना स्वीकृति कुछ भी छापा नहीं जा सकता था। मुझे याद है कि तब मशहूर गायक किशोर कुमार जी ने सरकार की वाह-वाही करने से इनकार किया तो उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया। रेडियो में उनकी एंट्री हटा दी गई लेकिन बहुत कोशिशों, हजारों गिरफ्तारियों और लाखों लोगों पर अत्याचार के बाद भी, भारत के लोगों का लोकतंत्र से विश्वास डिगा नहीं, रत्ती भर नहीं डिगा। हम लोगों में सदियों से जो लोकतंत्र के संस्कार चले आ रहे हैं, जो लोकतांत्रिक भावना हमारी रग-रग में है आखिरकार जीत उसी की हुई। लोकतांत्रिक तरीके से ही आपातकाल को हटाकर लोकतंत्र की स्थापना की।”

उन्होंने कहा कि उस दौर में संवैधानिक संस्थाओं को कुचल दिया गया था लेकिन लोगों ने संविधान को जिंदा रखा और लोकतांत्र को जिंदा रखने की लड़ाई लोकतांत्रिक तरीके से लड़ी। लोगों ने तानाशाही और तानाशाही की मानसिकता को पराजित किया। पीएम मोदी ने कहा कि ऐसा उदाहरण दुनिया में कहीं और नहीं मिलता है। देश आज आजादी के 75वें साल पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है इतिहास की सभी अहम पड़ाव से सीखते हुए हम सबको आगे बढ़ते रहना है।

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “आज जब देश अपनी आज़ादी के 75 वर्ष का पर्व मना रहा है, अमृत महोत्सव मना रहा है, तो आपातकाल के उस भयावह दौर को भी हमें कभी भी भूलना नहीं चाहिए। आने वाली पीढ़ियों को भी भूलना नहीं चाहिए। अमृत महोत्सव सैकड़ों वर्षों की गुलामी से मुक्ति की विजय गाथा ही नहीं, बल्कि, आज़ादी के बाद के 75 वर्षों की यात्रा भी समेटे हुए है। इतिहास के हर अहम पड़ाव से सीखते हुए ही हम आगे बढ़ते हैं।”

जल संरक्षण के लिए विशेष प्रयास करने की जरूरत : PM मोदी

वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि जल संरक्षण समय की जरूरत है और देश की आबादी को पर्याप्त जल पहुंचाने के लिए वर्षा जल का संरक्षण आवश्यक हो गया है। उन्होंने कहा कि अब बरसात का समय आने वाला है और देश में जल संरक्षण को लिए इस अवसर का लाभ उठाने की जरूरत है। बरसात केदिन जो अवसर उपलब्ध कराते हैं उनका पूरा उपयोग किये जाने की जरूरत है।

पीएम मोदी ने कहा कि गांव में पर्याप्त जल उपलब्ध कराने के लिए पुरानी बावड़ियों को सुधार कर उन्हें अच्छा बनाने की जरूरत है। इस संबंध में उन्होंने राजस्थान में बावड़ी को ठीक करने के लिए किए जा रहे एक प्रयास का जिक्र किया और कहा कि वहां आनंद के साथ बाबडी को ठीक करने का काम युवा जर रहे है।

उन्होंने आगे कहा कि वहां के युवाओं में संगीत कार्यक्रम को आधार बनाकर सहजता के साथ बाबड़ी को पुनर्जीवित करने का काम किया है। इस अभियान की चारों तरफ प्रशंसा हो रही है। बड़ी बात यह है कि जल स्रोतों को संरक्षित करने का बीड़ा चार्टर्ड अकाउंटेंट उठाया है और उनके इस कार्यक्रम में सुर तथा ताल का समन्वय किया गया है जिसमे युवक जुड़ रहे है और उनके सह्योग से राजस्थान में बाबड़ियों का पुनरुद्धार किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में जल संरक्षण के लिए नदी उत्सव भी आयोजित किया जा रहै है। इससे नदियों को सुरक्षित और संरक्षित रखने कभी काम हो रहा है उनकी साफ सफाई को भी महत्व दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रयास हमारे स्वभाव का हिस्सा बनना चाहिए ताकि देश में जल संरक्षण को बढ़ावा मिल सके और नदियों को स्वच्छ रखा जा सके।

वहीं, पीएम मोदी ने इसे बड़ा सामाजिक बदलाव बताया और कहा कि इसमें लोगों में जो नयी चेतना विकसित हो रही है वह नदियों को बचाने और जल संरक्षण में अहम भूमिका निभाएगा।