भारत-जापान के बीच 6 समझौतों पर हुए हस्ताक्षर, बैठक के बाद जानिए दोनों देशों के प्रधानमंत्री ने क्या कहा…

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भारत और जापान ने कोविड-19 महामारी के बाद शांतिपूर्ण, स्थिर एवं समृद्ध विश्व और वैश्विक आर्थिक प्रगति को बल देने के लिए अपनी द्विपक्षीय रणनीतिक साझीदारी को और मजबूत करने का शनिवार को संकल्प लिया।

इसके अलावा दोनों देशों ने साइबर सुरक्षा, स्वच्छ ऊर्जा, आर्थिक एवं सांस्कृतिक साझीदारी संबंधी आपसी सहयोग के छह करारों पर हस्ताक्षर किए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा के बीच हैदराबाद हाउस में 14वीं भारत जापान वार्षिक शिखर बैठक के दौरान इन समझौतों पर मुहर लगाई गई।

बैठक के बाद सबसे पहले दोनों प्रधानमंत्रियों ने कोविड उपरांत शांतिपूर्ण, स्थिर एवं समृद्ध विश्व के लिए साझीदारी संबंधी एक संयुक्त वक्तव्य पर हस्ताक्षर किए और इसके बाद समझौता ज्ञापनों का आदान प्रदान किया गया।

इन दस्तावेजों में भारत जापान औद्योगिक प्रतिस्पर्धात्मक साझीदारी रोडमैप, साइबर सुरक्षा सहयोग, 20 हजार 400 करोड़ रुपए के वित्तीय ऋण, समग्र आर्थिक साझीदारी समझौते में संशोधन, अस्वच्छ जल के शोधन, शहरी विकास के करार शामिल हैं।

इसके अलावा दोनों देशों ने स्वच्छ ऊर्जा साझीदारी, पांच खरब येन के निवेश और भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के सतत विकास की पहल के कार्यक्रमों की भी घोषणा की जिसमें बांस के उपयोग को लेकर पहल भी शामिल है। इससे पहले दोनों नेताओं ने भारत जापान बिज़नेस मीटिंग में भी शिरकत की। जिसमें जापानी कंपनी सुज़ुकी ने भारत में इलैक्ट्रिक वाहन विनिर्माण और बैटरी विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने के एक करार पर हस्ताक्षर किए।

बाद में अपने प्रेस वक्तव्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज की हमारी शिखर बैठक का आयोजन एक बहुत महत्त्वपूर्ण समय हुआ है। विश्व अभी भी कोविड और उसके दुष्प्रभावों से जूझ रहा है। वैश्विक आर्थिक रिकवरी की प्रक्रिया में अभी भी अडचनें आ रही हैं। भू राजनीतिक घटनाएँ भी नई चुनौतियां प्रस्तुत कर रही हैं। इस सन्दर्भ में भारत-जापान साझीदारी को और गहन करना सिर्फ दोनों देशों के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है। इससे हिन्द प्रशांत क्षेत्र और पूरे विश्व के स्तर पर भी शांति स्थिरता एवं समृद्धि को प्रोत्साहन मिलेगा। हमारा आपसी विश्वास, हमारे सभ्यतागत संबंध, लोकतंत्र, स्वतंत्रता और कानून का राज जैसे हमारे साझा मूल्य, हमारे संबंधों के मूल में हैं, उन्हें शक्ति प्रदान करते हैं।

पीएम मोदी ने कहा, “आज की हमारी चर्चा ने हमारे आपसी सहयोग को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का मार्ग प्रशस्त किया है। हमने द्विपक्षीय मुद्दों के अलावा कई क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। हमने संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर-राष्ट्रीय मंचों पर भी अपना समन्वय बढ़ाने का निर्णय लिया। भारत-जापान आर्थिक साझीदारी में पिछले कई वर्षों में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। दोनों देशों के कारोबार जगत में जबरदस्त विश्वास है, उत्साह है। जापान भारत में सबसे बड़े निवेशकों में से एक है।”

उन्होंने कहा कि समर्पित मालवहन गलियारा (डीएफसी) और मुुंबई अहमदाबाद हाईस्पीड रेल जैसे हमारी फ्लैगशिप परियोजनाओं में जापान का सहयोग उल्लेखनीय रहा है। हम इस योगदान के लिए बहुत आभारी हैं।

मुुंबई अहमदाबाद हाईस्पीड रेल परियोजना में अच्छी प्रगति हो रही है। दोनों देश इस पर ‘एक टीम एक प्रोजेक्ट’ की भावना के साथ काम कर रहे हैं। यह भारत-जापान साझीदारी का एक बेहतरीन उदाहरण है। पीएम मोदी ने इस बात पर प्रसन्नता जाहिर की कि दोनों देशों ने 2014 में निर्धारित 3.5 खरब जापानी येन के भारत में निवेश का लक्ष्य पार कर लिया है और कहा कि अब हमने अपनी महत्वाकांक्षा को और बढ़ाने का निर्णय लिया है और आने वाले पांच वर्षों में पांच ट्रिलियन येन, मतलब करीब तीन लाख बीस हजार करोड़ रुपए का नया लक्ष्य तय किया है।

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में भारत ने व्यापक आर्थिक सुधार किये हैं और कारोबारी सुगमता में बड़ी छलांग लगाई है। आज भारत ‘मेक इन इंडिया फॉर दि वर्ल्ड’ के लिए असीम संभावनाएं प्रस्तुत करता है। इस संदर्भ में जापानी कंपनियां बहुत समय से एक प्रकार से हमारी ब्रॉण्ड एम्बेसेडर रही हैं। हमारे बीच तकनीक एवं नवान्वेषण क्षेत्रों में साझीदारी में नए आयाम जुड़ रहे हैं। हम जापानी कंपनियों को भारत में अनुकूल माहौल उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं। आज आरंभ किया गया भारत जापान औद्योगिक प्रतिस्पर्धात्मक साझीदारी रोडमैप इसके लिए एक कारगर प्रणाली सिद्ध होगी। जापान के साथ हमारी कौशल साझीदारी भी इस दिशा में कारगर भूमिका निभाएगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और जापान, दोनों ही सुरक्षित एवं भरोसेमंद और स्थिर ऊर्जा आपूर्ति के महत्व को समझते हैं। यह सतत आर्थिक प्रगति के लक्ष्य को पाने और जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि हमारी स्वच्छ ऊर्जा साझीदारी इस दिशा में लिया गया एक निर्णायक कदम साबित होगा।

पीएम मोदी ने कहा, “प्रधानमंत्री किशिदा भारत के पुराने मित्र रहे हैं। विदेश मंत्री की भूमिका में वे कई बार भारत आये थे और मुझे उनके साथ विचारों का आदान-प्रदान करने का अवसर मिला था। पिछले कुछ वर्षों में भारत-जापान विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझीदारी में जो अभूतपूर्व प्रगति देखने को मिली, उसमें प्रधानमंत्री किशिदा की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। प्रधानमंत्री किशिदा की यह यात्रा भारत-जापान विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझीदारी में नए आयाम जोड़ने में सफल रही है।”

वहीं, जापानी प्रधानमंत्री किशिदा ने कहा कि कई प्रकार के व्यवधानों के कारण पूरी दुनिया अस्त व्यस्त हो गयी है, ऐसे में भारत एवं जापान के बीच निकट साझीदारी बहुत ही महत्वपूर्ण है। हमने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बारे में भी अपने विचारों का आदान प्रदान किया है। हमें अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक एक शांतिपूर्ण समाधान की जरूरत है।

किशिदा ने कहा कि भारत एवं जापान दोनों देशों को हिन्द प्रशांत क्षेत्र को स्वतंत्र एवं मुक्त क्षेत्र बनाने के प्रयास तेज करने होंगे। जापान भारत के साथ मिल कर युद्ध का समाप्त कराने एवं यूक्रेन एवं उसके पड़ोसी देशों को सहयोग देता रहेगा।

उन्होंने कहा कि हम अगली भारत जापान शिखर बैठक यथासंभव शीघ्र आयोजित करेंगे। उन्होंने भारत एवं जापान के बीच साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में समझौते का स्वागत किया और कहा कि भारत जापान का बहुत महत्वपूर्ण साझीदार है। इसके अलावा जापानी प्रधानमंत्री ने पेम मोदी को टोक्यो में होने वाली क्वाड शिखर बैठक में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया।

भारत और जापान के बीच चीन की गतिविधियों को लेकर भी चर्चा हुई – हर्षवर्धन श्रृंगला

बाद में विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने बताया कि बैठक में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण एवं हिन्द प्रशांत क्षेत्र पर उसके प्रभाव के बारे में भी प्रमुखता से बात हुई और भारत ने यूक्रेन में मानवीय संकट के मद्देनजर मानवीय सहायता दिये जाने तथा यूक्रेन की संप्रभुता एवं प्रादेशिक अखंडता बरकरार रखने को लेकर भारत के पक्ष के बारे में जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि भारत और जापान के बीच चीन की गतिविधियों को लेकर भी चर्चा हुई। भारत ने पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना के आक्रामक रुख के बारे में भी जानकारी दी।