CAG ने अधिकारियों के स्थानांतरण में गड़बड़ी के आरोपों को खारिज किया

भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने केंद्र की प्रमुख भारतमाला और आयुष्मान भारत योजनाओं में कथित अनियमितताओं का खुलासा करने वाली रिपोर्ट से जुड़े लेखा परीक्षकों के स्थानांतरण में किसी भी तरह की गड़बड़ी से शुक्रवार को इनकार किया। कैग ने कहा कि यह स्थानांतरण और पदस्थापना प्रशासनिक सुविधा का मामला है तथा इसके पीछे कोई दुर्भावना खोजना ठीक नहीं है।

कैग ने एक बयान में कहा कि संसद में ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए सर्वोच्च प्राधिकार द्वारा अनुमोदित होने से पहले यह कई हाथों से गुजरती है। कैग ने कहा कि अधिकारियों का स्थानांतरण और पदस्थापना प्रशासनिक सुविधा का मामला है और इसके पीछे किसी तरह की दुर्भावना खोजना ठीक नहीं है।

कैग का यह बयान ऐसे वक्त आया है जब कांग्रेस ने द्वारका एक्सप्रेस-वे परियोजना की जांच से संबंधित ऑडिट रिपोर्ट की प्रभारी लेखा परीक्षक अतूर्वा सिन्हा और दत्तप्रसाद सूर्यकांत शिरसा तथा आयुष्मान भारत योजना के ऑडिट की शुरुआत करने वाले अशोक सिन्हा को स्थानांतरित करने के लिए सरकार की आलोचना की।

कैग ने कहा कि ऑडिट रिपोर्ट लंबी अवधि में व्यापक टीम द्वारा तैयार की जाती है, जिसमें उच्चतम स्तर पर ‘फील्डवर्क’, केंद्रीय स्तर पर इस पर गौर करने के साथ अंतिम रूप देने वाले अधिकारी शामिल होते हैं।

बयान में कहा गया है कि ऑडिट रिपोर्ट भी उचित अनुमोदन और बाद में सदन में प्रस्तुत करने से पहले कई हाथों से गुजरती है, इसलिए इसका श्रेय किसी एक अधिकारी को नहीं दिया जा सकता।

कैग ने कहा, ‘‘इसके अलावा, दोनों संदर्भित रिपोर्ट शीर्ष स्तर पर अनुमोदन के बाद राष्ट्रपति को प्रस्तुत की गई हैं और संसद के समक्ष रखी गई हैं तथा सार्वजनिक हैं। प्रशासनिक जरूरत की वजह से होने वाले इन नियमित तबादलों में किसी भी तरह की गड़बड़ी का आरोप लगाना पूरी तरह से गलत है।’’

अगस्त में संसद में प्रस्तुत की गई कैग रिपोर्ट में भारतमाला परियोजना के कुछ पहलुओं में कथित अनियमितताओं, लागत में 1,400 प्रतिशत की वृद्धि और राष्ट्रीय राजधानी में द्वारका एक्सप्रेसवे परियोजना के लिए निविदा में विसंगतियों का खुलासा किया गया। इसके अलावा, आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा के तहत एक ही मोबाइल नंबर से जुड़े लाभार्थियों द्वारा लाखों दावों को उजागर किया गया था।

पिछले महीने कैग अधिकारियों का तबादला किए जाने की खबरें आई थीं। विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार पर उन कैग अधिकारियों को डराने-धमकाने का आरोप लगाया, जिन्होंने विभिन्न योजनाओं में ‘‘भ्रष्टाचार’’ का खुलासा किया था। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर भ्रष्टाचार उजागर करने वालों को धमकाने और हटाने का आरोप लगाया।

कैग ने बयान में उन दलीलों को खारिज कर दिया कि वह किसी भी नयी रिपोर्ट पर हस्ताक्षर या अनुमोदन नहीं कर रहा और सभी ‘फील्डवर्क’ को रोकने के लिए मौखिक आदेश जारी किए गए। कैग ने कहा कि इसे ‘‘स्पष्ट रूप से खारिज किया जाता है।’’

बयान में कहा गया कि नियंत्रक और महालेखा परीक्षक जी सी मुर्मू द्वारा अनुमोदित ऑडिट रिपोर्ट की संख्या में पिछले तीन वर्षों में तेजी से वृद्धि हुई है, जो 2022-23 (केंद्र और राज्यों) में 173 ऑडिट रिपोर्ट के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई है। बयान में कहा गया कि इनमें से 29 केंद्रीय ऑडिट रिपोर्ट और 78 राज्य ऑडिट रिपोर्ट 2022-23 में संसद और राज्य विधानसभाओं में प्रस्तुत की गईं। चालू वित्तीय वर्ष में अब तक कैग द्वारा 43 ऑडिट रिपोर्ट को मंजूरी दी जा चुकी है।